एक बार एक बड़े राज्य के बादशाह ने अपने किसी क़रीबी रिश्तेदार की सिफारिश पर एक अयोग्य आदमी को अपने दरबार में मौसम विभाग का मंत्री बना दिया।
बादशाह बहुत ही शानोशौकत वाला था, साथ ही शिकार खेलने का बेहद शौक़ीन।
वो अक्सर अपने लावलश्कर के साथ घने जंगलों में शिकार खेलने जाता।
कुछ दिनों के बाद बादशाह को शिकार के लिए फ़िर जंगल में जाने की तीव्र इच्छा हुई।
शिकार पर जाने से पहले बादशाह ने सोंचा कि अपने नए मंत्री से मौसम का हाल जान लूं, नहीं तो घने जंगलों में कहीं फंसने की गुंजाइश बनी रहेगी ।
बादशाह ने अपने उस मंत्री को बुलाकर उससे अगले तीन दिनों की मौसम की भविष्यवाणी पूछी...!
मंत्री बेहद चापलूस क़िस्म का व्यक्ति था, साथ ही अज्ञानी तो था ही ।
मंत्री ने अपने थैले से कुछ यंत्र जैसा चीज़ निकाला औऱ कुछ देर गंभीरता से सोच विचारकर बोला " ज़रूर जाइए सुल्तान....मौसम कई दिनों तक बहुत अच्छा औऱ सुखद रहेगा,डरने की कोई बात नहीं "...!
बादशाह ने अपने मंत्री की पीठ थपथपाई।
उसके बाद अगले दिन वह शिकार के लिए अपने लश्कर के साथ निकल पड़ा।
बादशाह अभी अपने महल से थोड़ी दूर ही गया था कि रास्ते में उसे एक नाई मिल गया....
नाई बादशाह के पीछे भागा औऱ बोला... " गुस्ताख़ी माफ़ सुल्तान.. तेज़ बारिश के साथ आंधी तूफान भी आने वाला है......ऐसे ख़राब मौसम में आप कहाँ जा रहे हैं ,आप तो बुरी तरह फंस जाएंगे...मेरी सलाह मानिए तो आप तुरंत राजमहल लौट जाइए......???? "
नाई की बात सुनकर बादशाह बहुत आग बबूला हो गया औऱ उसने सोंचा कि जब उसके एक जानकर मंत्री ने मौसम को दुरुस्त बताया है, फ़िर इस बेवकूफ की बातों को गंभीरता से क्या सुनना।
गुस्से में बादशाह ने नाई को वहीं पच्चास जूता औऱ सौ कोड़े मारने का आदेश अपने सिपाहियों को दिया।
सिपाहियों ने तुरंत बादशाह के आदेश का पालन किया औऱ नाई की वहीं हज़ामत बना दी।
बादशाह का मूड तो ख़राब हो ही गया था फ़िरभी वह खिन्न मन से अपने लावलश्कर के साथ आगे बढ़ा....!
लेकिन कुछ घंटों बाद वही हुआ जो नाई ने बादशाह से कहा था।
तेज़ आँधी के साथ भयानक बारिश आई और जंगल पूरी तरह दलदल बन गया ।चारो तरफ पानी ही पानी ।
बादशाह शिकार न कर सका, साथ ही घने जंगलों में बुरी तरह फंस भी गया।अब उसे सुरक्षित बाहर निकलने में मुश्किल हो रही थी ।
जैसे तैसे जान बचाकर वह अपने महल वापस लौटा औऱ सबसे पहले उसने नालायक मंत्री को अपने सामने हाज़िर करने का आदेश सुनाया।
डरते डरते मंत्री कुछ पल में ही बादशाह के सामने था।
बादशाह ने सबसे पहले उसे बर्खास्त किया, फ़िर जमकर फटकार लगाई औऱ चिल्लाया..." यदि तुम मेरे रिश्तेदार के क़रीबी न होते तो तुम्हारा सर धड़ से अलग कर देता, फ़िरभी तुमने जो गलती की है वो माफ़ी के क़ाबिल नहीं है, इसलिए तुम्हें सज़ा जरुर सुनाई जाएगी..." ।
बादशाह ने तुरंत अपने सिपाहियों से उस बर्खास्त मंत्री को एक हज़ार जूते औऱ पांच हजार कोड़े मारने का आदेश दिया।
आदेश पाकर सिपाही तुरंत अपने काम में लग गए ।
बादशाह बहुत चिंता में पड़ गया कि अब मौसम विभाग जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय का मंत्री किसे बनाया जाए क्योंकि उसे अक्सर घने जंगलों में शिकार के लिए तो जाना ही है।
बहुत सोचने के बाद बादशाह ने नाई को अपने सामने पेश होने का आदेश दिया।
बादशाह के आदेश को पाकर नाई डरते डरते दरबार में हाज़िर हुआ।
बादशाह ने खुश होकर अपने गले का कीमती हार उस नाई की तरफ़ बढ़ाया औऱ फ़िर उससे कहा..." तुम खरे सोना हो जिसे मैं आज तक परख न पाया , साथ ही तुम्हें मौसम का जितना बेहतरीन ज्ञान है ,उतना ज्ञान शायद हमारे राज्य में किसी को नहीं।इसलिए आज से तुम्हें मौसम विभाग का मंत्री बनाया जाता है।तुम तुरंत अपना पदभार ग्रहण करो.."।
नाई ने डरते हुए कहा..." सुल्तान, मैं बेहद ग़रीब औऱ अनपढ़ आदमी हूँ।मैं क्या जानूं.. मौसम वौसम किस चिड़िया का नाम है।मैं तो बस अपने बकरे के हावभाव को देख कर अंदाज़ा लगा लेता हूँ कि मौसम कैसा रहने वाला है।क्योंकि मैंने देखा है कि जबभी मौसम ख़राब होने की संभावना रहती है, मेरे बकरे के कान बिलकुल खड़े हो जाते हैं औऱ वो मिमियाना छोड़कर बिलकुल ख़ामोश हो जाता है ।इसलिए मैं चौबीसों घंटे अपने बकरे के कान औऱ उसके बर्ताव पर नज़र रखता हूँ। हुज़ूर,मेरा बकरा आज तक क़भी ग़लत साबित नहीं हुआ।मेरे बकरे के खड़े कान बिलकुल एक राडार की तरह काम करते हैं.."।
बादशाह फ़िर बहुत गंभीर सोंच में डूब गया क्योंकि उसे महसूस हो रहा था कि वह दोबारा कितनी बड़ी ग़लती दोहराने जा रहा था।बादशाह को मन ही मन अपने फैसले पर बहुत ग्लानि हो रही थी, साथ ही उसे गंभीर पीड़ा की भी अनुभूति हो रही थी ।
बादशाह बार बार ऊपरवाले को धन्यवाद दे रहा था क्योंकि उसे महसूस हो रहा था कि वह फ़िर से एक अयोग्य व्यक्ति को मौसम विभाग का मंत्री बनाकर बड़ी फ़ज़ीहत मोल ले रहा था जिससे वो बाल बाल बच गया था।
उसके बाद बादशाह ने तुरंत भरी सभा में...........
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
. उस अनुभवी बकरे को मौसम विभाग का मंत्री बनाने का आदेश दिया।
ये आदेश सुनते ही सारे दरबारी बादशाह के इस फैसले पर खुश होकर उसकी जयजयकार करने लगे......
बादशाह के भी ख़ुशी का ठिकाना न था.....!!
0 टिप्पणियाँ