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Best Hindi story - Motivation story

 एक बार की बात है। एक राज्य में एक बहुत ही अमीर आदमी रहता था ।


उसके पास बहुत सारी संपत्ति, बहुत बड़ी हवेली और नौकर-चाकर थे।


लेकिन उसके जीवन में सब ऐशोआराम रहने के बावजूद भी उसके मन में शांति नहीं थी ।


एक दिन उसे मालूम हुआ कि पास के ही इलाक़े में एक सिद्ध साधु आए हैं जो लोगों को ऐसी सिद्धि देते हैं जिससे सबको मनचाही चीजें मिल जाती हैं ।


वह अमीर उस तपस्वी साधु के पास गया और उसे प्रणाम करके बोला, महाराज, मेरे पास पैसे की कोई कमी नहीं है, पर मेरा मन बहुत अशांत रहता है आप कुछ ऐसा उपाय या मंत्र दीजिए जिससे मेरी अशांति तुरंत दूर हो जाए ।


सेठ ने मन ही मन सोचा कि साधु बाबा उसे कोई ताबीज़ या जड़ीबूटी दे देंगे, जिससे उसकी इच्छा पूरी हो जाएगी यानी मन की बेचैनी दूर हो जाएगी।


लेकिन साधु ने ऐसा कुछ भी नहीं किया औऱ सेठ को सात दिन अपने साथ कुटिया में रहने के लिए कहा।


अगले दिन साधु बाबा ने सुबह से ही पूरा दिन सेठ को धूप में बैठाए रखा और स्वयं अपनी कुटिया के अंदर छाँव में जाकर आराम से बैठ गए ।


गर्मी के दिन थे। सेठ का बुरा हाल हो गया। उसको बहुत गुस्सा आया पर वह अपने गुस्से को चुपचाप पी गया ।


दूसरे दिन साधु ने कहा, ‘आज तुम्हें दिन-भर खाना नहीं मिलेगा ।


भूख के मारे दिन-भर सेठ के पेट में चूहे कूदते रहे, अन्न का एक दाना भी उसके मुँह में नहीं गया, लेकिन उसने देखा कि साधु ने उसी के सामने बैठकर बड़े आनंद से भोजन किया ।


सेठ सारी रात परेशान रहा। उसे एक क्षण भी नींद नहीं आई। वह सोचता रहा कि साधु तो बड़ा स्वार्थी है ।


तीसरे दिन सवेरे ही उठकर उसने अपना बिस्तर बांधा और चलने को तैयार हो गया ।


 तभी साधु उसके सामने आकर खड़े हो गए और बोले, सेठ क्या हुआ?


सेठ ने कहा, ‘बाबा...मैं यहां बड़ी आशा लेकर आपके पास आया था, लेकिन मुझे यहां कुछ नहीं मिला, उल्टा मुझे ऐसी मुसीबतें उठानी पड़ी, जो मैंने जीवन में कभी नहीं उठाई।अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है इसलिए मैं जा रहा हूँ।’


साधु बाबा हंसकर बोले, ‘मैंने तुझे इतना कुछ दिया, पर तूने कुछ भी नहीं लिया मूर्ख...


सेठ ने आश्चर्य से साधु की ओर देखा और बोला, ‘आपने तो मुझे कुछ भी नहीं दिया बाबा।’


साधु ने कहा, ‘सेठ पहले दिन जब मैंने तुझे धूप में बैठाया और ख़ुद छाँव में बैठा रहा तो इसके जरिए मैंने तुझे बताया कि मेरी छाँव तुम्हारे काम नहीं आ सकती ।


जब मेरी बात तुम्हारी समझ में नहीं आई, तो दूसरे दिन मैंने तुझे भूखा रखा और ख़ुद खूब अच्छी तरह खाना खाया ।


उससे मैंने तुझे समझाया कि मेरे खा लेने से तुम्हारा पेट नहीं भर सकता ।


सेठ, याद रखो मेरी साधना से तुझे सिद्धि नहीं मिलेगी ।


अध्यात्म औऱ चिंतन एक ऐसी राह है, जहां मंजि़ल तक पहुँचने के लिए खुद ही यात्रा करनी पड़ती है ।


मैं तुझे राह बता सकता हूँ, लेकिन चलना तुझे खुद ही होगा ।


धन तूने खुद अपने पुरुषार्थ से कमाया है और शांति भी तुझे अपने ही पुरुषार्थ से मिलेगी । तुम अपनी व्यर्थ की इच्छाओं औऱ विलासिताओं पर नियंत्रण रखो , तुम्हारा मन खुद ही शांत हो जाएगा।


 सेठ की आंखें खुल गई और उसे अपनी मंजिल तक पहुंचने का रास्ता मिल गया था ।

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जोक्स : लेन देन , funny joke, हास्य व्यंग