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 एक बार एक कंपनी में काम कर रहे एक बुद्धिजीवी वर्कर ने अपने साथ काम कर रहे दूसरे वर्कर से कहा कि मैं काम के दौरान जब चाहूं तब मैनेजर से कुछ वक़्त के लिए छुट्टी ले सकता हूं। 


दूसरे वर्कर ने कहा, ′′कैसे?" 


बुद्धिजीवी वर्कर ने कहा ′′ मैं करके दिखाता हूँ"



उसने कंपनी के छत से लटकती हुई एक रस्सी को पकड़ा और उल्टा झूल गया।


 मैनेजर ने जब ये देखा तो उसके पास आकर पूछा...अरे बेवकूफ , ये क्या कर रहे हो.?


 बुद्धिजीवी बोला.. बल्ब हूँ देख नहीं रहे, चारो तरफ रौशनी फैला रहा हूँ। 


मैनेजर ने कहा... जा भाई, थोड़ी देर बाहर बैठ कर ठंडी हवा खा औऱ बीड़ी पीकर अपने दिमाग़ को आराम दे ।


 उसने फट से रस्सी छोड़ दी, उतरा और बाहर निकल गया।


 ये देखने के बाद एक दूसरा वर्कर भी चला गया। 


मैनेजर ने पूछा...अबे तू कहाँ जा रहा है बे ?


 दूसरे वर्कर ने कहा "साहब जब बल्ब ही नहीं होगा तो अंधेरे में काम कैसे चलेगा....बिना रौशनी के कोई भी काम करना मुश्किल है...?"


दोस्तों.... हमसब ने देखा है कि अक़्सर सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर भी कुछ बुद्धिजीवी उल्टा लटक कर रोशनी फैला रहे होते हैं। दरअसल समस्या ये लोग नहीं होते क्योंकि वो तो अपने कुछ उद्देश्य औऱ गुप्त एजेंडा को पूरा करने के लिए ही उल्टा लटकते हैं। समस्या हमेशा दूसरे प्रकार के लोगों की होती है जो वास्तव में उन्हें ज्ञान का बल्ब समझकर बिना कुछ सोंचे उनके पीछे चल पड़ते हैं। उन्हें समझाना बहुत मुश्किल होता है।


इसलिए किसी के भी पीछे चलने से पहले अच्छी तरह जाँच लें,परख लें ।आँख मूंदकर पीछे चलना खतरनाक हो सकता है....... सावधान रहें, सतर्क रहें......!!


.......


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