काका काकी ओर भूत
एक गांव में एक काका रहता था, उसकी पत्नी यानी काकी बड़ी मरखाह थी।
काकी ने एक नियम बना रखा था , सुबह उठते ही घर के बाहर एक नियत जगह पर काका को खड़ा कर 20 जूते मारती थी।
आखिर एक दिन काका, काकी के इस अत्याचार से परेशान होकर गांव छोड़कर भाग गया। दूसरे गांव में जाकर काका ने एक कंजूस के यहां नौकरी कर ली।
काका के जाने के बाद भी काकी उस नियत जगह पर रोज बीस जूते जमीन पर मारती थी, जहां वह काका को खड़ा करती थी।
काकी द्वारा एक जगह रोज जूते मारने के चलते उस जगह एक गडढा हो गया। उस गड्ढे के नीचे हंडिया मे एक भूत रहता था। काकी के जूते भूत के सिर पर पड़ने लगे |
बेचारा भूत रोज जूते खा खाकर परेशान हो गया। लगातार जूते पड़ने के चलते वो हंडिया फूट गई जिसमें भूत रह रहा था। हंडिया के टूटते ही भूत आजाद हो गया और उसने उसी दिशा में दौड़ लगा दी जिधर काका गया था।
भूत की नजर जब काका पर पड़ी तो वह उसके पास गया और कहने लगा - तू तो यहां मौज कर रहा है लेकिन पीछे से तेरी औरत ने जूते मार मारकर मेरे सिर का एक बाल भी न छोड़ा, बहुत मुश्किल से बचते बचाते भागकर यहां आया हूँ।
काका कहने लगा, भूत भाई, काकी के जूते से तो बच गया पर यहां कड़ी मेहनत करने के बाद भी सूखी रोटियां ही खाने को मिलती हैं, साला ये कंजूस बहुत शोषण करता है।
काका की व्यथा देखकर भूत ने एक उपाय सुझाया। उसने कहा मैं इस कंजूस के बेटे के शरीर में घुस जाऊंगा और किसी भी तांत्रिक ओझा द्वारा निकालने पर भी नहीं निकलूंगा, तब तू कंजूस से जाकर कहना कि वो तुझे एक मोटी रकम दे तो तू उसके बेटे के शरीर से भूत निकाल सकता है, इस तरह तुम उससे धन कमाकर आराम से जिंदगी बसर करना, लेकिन, एक शर्त है; कंजूस के बेटे के शरीर से निकलने के बाद मैं अन्य किसी के शरीर में घुस जाऊं तो तू वहां मत आना, आ गया तो मैं तेरी गर्दन तोड़ दूंगा।
भूत उस कंजूस के बेटे के शरीर में घुस गया, कंजूस ने कई तांत्रिक, ओझा, बाबाओं को बुलाया पर उस भूत को उसके बेटे के शरीर से कोई भी न निकाल सका । तब काका ने एक मोटी रकम के बदले कंजूस को उसके बेटे के शरीर से निकालने का प्रस्ताव दिया।
कंजूस तुरंत रकम देने को तैयार हो गया। काका ने उसके बेटे के शरीर से भूत निकाल दिया , इसके बदले उसने काका को ढेर सारा पैसा दिया। काका के इस कारनामे की दूर दूर तक चर्चा होने लगी।
उधर भूत कंजूस के बेटे के शरीर से निकलकर एक राजा के बेटे के शरीर में जा घुसा औऱ उसे परेशान करने लगा ।
किसी ने राजा को जाकर काका द्वारा किये चमत्कार के बारे में बताया।
राजा ने अपने सैनिकों को काका के पास भेजा।
अब काका बुरी तरह फंस गया।
भूत के पास जाए तो भूत गर्दन तोड़ दे और न जाये तो राजा गर्दन काट दे!
समस्या बिकट थी एक तरफ खाई तो दूसरी ओर कुंआ जान बचाना मुश्किल हो गया। मरता क्या न करता!
फिर काका ने अपना दिमाग लगाया और महल में जाकर राजकुमार के कमरे में घुसने से पहले अपने कपड़े फाड़कर चीथड़े चीथड़े कर लिये और अपनी जूतियां हाथ में लेकर राजकुमार की तरफ देखकर कहने लगा -
अरे भूत भाग...काकी आ गई है, कहते कहते काका जोर से भागने लगा।
काका के पीछे भूत भी राजकुमार के शरीर को छोड़कर काकी के डर से भागने लगा।
भूत शरीर से निकलते ही राजकुमार ठीक हो गया और लोग काका की जयजयकार करने लगे।
राजा ने उसे बहुत सारा धन इनाम में दिया औऱ फिर काका की जिंदगी खुशहाल हो गई।
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